दोस्ती सिर्फ दो इंसानों के बीच ही नही होता है, अगर कुत्ते, बिल्ली, गाय, घोड़ा, जैसे पालतू जानवरों को बेहतर प्रशिक्षण दिया जाए, तो ये भी निश्चितं रूप से इंसानों के संग दोस्ती को बहुत वफादारी से निभाते हैं. परन्तु हमें यह भी भूलना नही चाहिए, जानवर भी एक दुसरे से दोस्ती करते हैं. ये जानवर भी इंसानों की ही तरह साथ-साथ घुमेंगे, खेलेंगे और संकट आने पर एक दुसरे की मदद भी करेंगे।
उम्मीद करता हूँ कि, आपको शुरुवाती पंक्तियों से अंदेशा हो चुका होगा कि इस लेख का मुख्य बिंदु "मित्रता पर निबंध" है। लेकिन आज का लेख मनुष्यों के बीच दोस्ती के मायने, महत्व, जीवन में भूमिका, और निबंध के निष्कर्ष को समझेंगे।
1. मित्रता क्या है?- परिचय
दोस्ती हमें भावनात्मक और मानसिक रूप से अपनेपन का एहसास कराता है. इसलिए इसे सामाजिक तानेबाने के सबसे मूल्यवान बंधनों में से एक माना जाता है।
जीवन में सही मित्रता का संगत मिले तो हमारे व्यक्तित्व विकस में मदद होता है, हमारे भीतर छिपे दब्बूपन को दूर करके, जीवन के असीम संभावनाओं को सीमाओं को आगे ले जाने और नए दृष्टिकोण तलाशने के लिए प्रोत्साहित करता है। वे हमें सहानुभूति, समझ और वफादारी जैसे गुणों को विकसित करने में हमारा पूरा सहयोग करते हैं।
2. नकली दोस्तों को कैसे पहचानें ?
ऐसे दोस्त सिर्फ अपने जरुरत के समय लोगों को याद करते हैं। ये लोग रिश्ता भी उन्ही लोगों के साथ रखेंगे, जिनलोगों से इनको फ़ायदा होगा। अगर फ़ायदा ना हो तो ये रिश्ता भी नही रखते हैं।
ठीक वंही जब आपका उनसे मदद की आवश्यकता होगा तो उनके पास समय नही होगा, और फिर आपके मदद ना करने के कुछ ना कुछ बहाना तैयार रखेंगे। ऐसे लोगों को हमेशा चुगलखोर की आदत होता हैं।
इसलिए ये दूसरों के सीक्रेट बातों को इधर से उधर करने में माहिर है। साथ ही दोस्तों के आपसी गहरी दोस्ती को तोड़ने में ये लोग बहुत उस्ताद होते हैं। ये भले ही सामने तारीफ करेंगे, लेकिन पीठ पीछे कभी भी इनका मन कभी तारीफ़ करने का इरादा नही होता है।
ये अपने जरुरत का काम बड़ी चालाकी से आपसे करवा लेंगे। इनकों आपके जीवन में होने वाले परिस्थितियों से कोई भी मायने नही रखता है।
3. दोस्ती की असली ताकत
सच्ची बंधुता आपको कभी भी अकेले छोड़कर नही जायेगा। मान लीजिये किसी एक ने कंही घूमनें का प्लानिंग किया है तो दुसरे को बिना बताएं और अकेले नही जाएगा।
आपको साथ घुमने को राजी करने के लिए भरकस कोशिश करेगा। हो सके तो आपके बिना वह घुमने का प्लानिंग ही कैंसिल कर दे। हर छोटी-छोटी खुशियों को आपस में मिलजुलकर आनंद उठाएंगे।
4. जीवन में मित्रता की भूमिका
4a. वफादारी :- सच्चा दोस्त जिंदगी के हर मोड़ पर हमेशा साथ देगा। कभी भी मुश्किल हालातों में छोड़ कर नही भागेगा। कोई भी मुश्किल की घड़ी आये, सच्चा दोस्त हमेशा वफादारी निभाएगा। और वफादारी भी इस तरह नही निभाएगा कि आप गलत हो तो आपके हर गलत काम में भी साथ देगा। बल्कि आपको गलत राह से बचाने के लिए वफादारी निभाएगा।
4b. बेहतर सलाहकार:- असल मित्र हमेशा आपका तारीफें करते नही रहेगा। जब आप गलत होंगे, तो आँखों में आँखें डालकर आपके गलतियों को सामने जाहिर करेगा। भले ही बाकी दुनिया आपके तारीफों का महल खड़ा कर दे, लेकिन आपका बंधु सही और गलत दोनों पहलुओं को समझाएगा।
4c. स्वीकार्यता:- सच्ची मित्रता में रंगरूप, ऊँचनीच, जातिबिरादारी कोई मायने नही रखता है। आप जैसे हो वैसे ही स्वीकार होंगे। वह आपको बदलने की कोशिश नही करेगा। हाँ, आपको बेहतर बनाने के लिए जरुर कोशिश करेगा।
4d. सहानभूति:- सच्चा दोस्त भावनाओं की कदर करता है। आपकी भावनाओं का कभी कभी मजाक नही उड़ाएगा। आपका सम्मान करेगा। आपके गोपनीय बातों को किसी ओर लोगों से बांटकर मजाक नही बनाएगा।
5. सच्चे मित्र का जीवन में प्रभाव
5a. भावनात्मक सहारा:- जब हम बहुत ज्यादा किसी मामलों में भावुक हो जाते हैं, और कई बार ऐसी परिस्थितियां होतें है, जब हम परिवार से भी सहायता नही मांग सकते है। उस वक़्त सच्चा साथी हमेशा भावनात्मक सहारा देता है। हमें ढ़ाढ़स देकर उस परिस्थिति में चुनौतियों से लड़ने की हिम्मत देता है।
5b. निष्पक्ष विचार:- जिस भी विषय पर आप उनसे सलाह मांगो, वे कभी भी अपने हित को ध्यान में रखकर विचार नही देंगे, बल्कि जो भी कहेंगे उसमे वे सभी बाते आपके पास रखेंगे की यह करने से क्या फ़ायदा होगा क्या नुकसान हो सकता है।
5c. मजबूत रिश्ते:- एक दुसरे के सुख-दुःख में शामिल होने से मित्रता मजबूत होता है।
5d. बातचीत के तौरतरीके:- बंधुता में हरवक्त जब भी खाली समय मिले, बातचीत का सिलसिला कभी ख़त्म नही होता है। इन सब से हमें व्यावहारिक बातचीत करने के तौरतरीकों को सिखने मिलता है। हमारे बर्ताव में सुधार आते है, जो हमें अच्छा इंसान बनने में मदद करता है। लोगों से बेहतर तरीके से जुड़ते है।
5e. बेहतर आत्मविश्वास:- आप दुनिया में कितना ही बड़ा फेलियर आज जाए जीवन में, सही साथी हमेशा आपको जब आप लोगों से या किसी से खुलकर व्यक्त कर पाते हैं, तब आपका आत्मविश्वास बढ़ता है।
दोस्ती में हमारे बातचीत का सिलसिला कभी ख़त्म नही होता है। एक दुसरे के राय को बेझिजक सामने रखते है।
5f. अपनेपन का एहसास:- जब वास्तविक दोस्त जीवन में मिलता है, तब जीवन में अकेलापन का एहसास ही नही होता है।साथ-साथ फिल्म देखना, पार्टी करना, पढाई का प्लानिंग करना।
लड़का और लड़की के बीच दोस्ती
हम जी रहे है २१वीं सदी में, और इस बात से कतई इनकार नही कर सकते कि लड़के और लड़की के बीच दोस्ती ना हो। हमें अपने पुराने खयालात से बाहर निकला जरुरी है कि लड़का और लड़की के बीच दोस्ती नही होना चाहिए।
वक़्त और परिस्थितियों के अनुरूप हमें भी अपने सोच-विचार को विकसित करना आवश्यक है। लड़का और लड़की के बीच दोस्ती से जेंडर गैप नही रहता है।
इस परिपेक्ष्य में एक ही बात रखना चाहूँगा कि, ऐसे मित्रतापूर्ण रिश्तों में लड़कों को चाहिए कि वे लड़कियों से भी उस तरह व्यवहार नही करना चाहिए जैसे व्यवहार लड़कों से करते है।
ऐसा मित्रता जरुरी भी है, क्योंकि उम्र के परिपक्वता पहुँचने पर लड़के हो या लड़की सबको अपने जीवनसाथी के साथ आगे का जीवन बिताना होता है. तो ऐसे दोस्ती में एक दुसरे के साथ मानसिक समन्वय बनाने में बहुत आसान होता है।
बचपन की दोस्ती
आपने छोटे बच्चे-बच्चियों को अपने ही उम्र के अन्य बच्चे-बच्चियों से पहली मिलते जरुर देखा होगा, तो आप पाएंगे कि, वे पहली मुलाकात में एकटक एक दुसरे को बड़ी उत्सुकता से देखते रहते है।
उन्हें भाषा ज्ञान बिलकुल भी नही होता है, उसके वाबजूद एक दुसरे से जुड़ने की कोशिश करते हैं। वे अपने मनोभाव और इशारों से एक दुसरे से बाते करने की कोशिश करते हैं।
किशोरावस्था की दोस्ती
किशोरावस्था के उम्र में हमारा पूरा जीवन स्कूल में बीतता है. इस उम्र के दौर में हम सभी भावनात्मक तौर पर एक दुसरे से काफी नजदीकी से जुड़े रहते है। इसी कारण इस उम्र में बना दोस्ती, जीवन में बहुत लम्बे समय तक जुड़े रहने की संभवाना होता है।
इसी के ठीक विपरीत कॉलेज की दोस्ती अधिकतर कॉलेज तक ही सिमट कर रह जाते हैं. और ऑफिस की दोस्ती ऑफिस तक या फिर जॉब में रहने तक ही होते है. उसके बाद सभी अपने-अपने रास्ते निकल पड़ते है।
अंत में
दोस्ती सोशल मीडिया का फ्रेंड लिस्ट की तरह नही है कि बस लाइक्स और कमेंट्स तक सीमित रह जाए। एक दुसरे के लिए दिलचस्पी भी होनी चाहिए, समय निकलना भी बेहद जरुरी है। समय की कसौटी पर खरा उतरने की क्षमता होनी चाहिए।
पुरानी यारी वही टिकता है, जंहा दोनों ही एक दुसरे के लिए माफ़ी मांगने में हिचकते नही है। रिश्तों के अहमियत को बचाने के लिए अपनी गलतफहमियों को स्वीकारने से ही दोस्ती बिखरने से बच जाता है।
अंत में यही कहुंगा कि, एक दोस्त जीवन भर रह सकता है, बशर्ते कि समय के साथ इसमें आपसी वफादारी और सम्मान बरक़रार रहना चाहिए।
संक्षेप में, पुरे लेख का सार कहे तो हम बस एक पंक्ति में यह कह सकते है कि, दोस्ती एक सार्थक और परिपूर्ण जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है। इसलिए, हमें सच्ची दोस्ती की सुंदरता, शक्ति, और इस अनमोल संबंधों का सम्मान निश्चिय ही करना चाहिए।
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