इलेक्ट्रिक वाहनों ने वर्तमान ऑटोमोबाइल सेक्टर में काफी धूम मचा रखा है।
नवाचार और प्रगति के दौर में लोगों का रुख गैस चालित वाहनों से इलेक्ट्रिक वाहन की ओर मुड़ा है। वो दिन अब धीरे-धीरे ख़त्म होने को है, जंहा हमें बार-बार इंधन भरवाने के झंझट से दो-चार होना पड़ता है।
बैटरियां भी इतने उन्नत हो चुके है कि, इंधन चालित वाहनों से अधिक माइलेज देते है। वह भी काफी कम कीमतों में। इलेक्ट्रिक वाहनों से ना सिर्फ हमारे यात्रा के तौर-तरीके बदल रहें हैं, बल्कि भविष्य के लिए नया दृष्टीकोण में नयापन को भी जोड़ रहा है।
आइए, इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती लोकप्रियता और इससे संबंधित बाकी जानकारियों पर विस्तार से समझते हैं।
1. परिचय
एक समय पर इलेक्ट्रिक वाहनों को सिर्फ अवधारणा के तौर पर माना जाता था, लेकिन अब हक़ीकत बनकर सबके सामने तैयार हैं। प्रत्येक बीतते दिन के साथ विद्युत चलित वाहनों की लोकप्रियता बढ़ते जा रहा है।
हालाँकि, इन ईवीएस की बढ़ती लोकप्रियता के पीछे भी कई कारण है, जैसे कि सरकारी प्रोत्साहन, बैटरी प्रौद्योगिकी में प्रगति, कम परिचालन लागत, शून्य उत्सर्जन और हमारे कार्बन पदचिह्न को कम करने की सामूहिक इच्छा ने प्रोत्साहित किया हैं।
इसने इंजनों की गड़गड़ाहट भरी दुनिया को शांत वातावरण में बदलने का काम किया। ईवीएस ना सिर्फ बाइक, स्कूटी या फिर कारों तक सीमित है, बल्कि ट्रक्स भी बनाएं जा रहें हैं।
टेस्ला ट्रक इसका सबसे बढ़िया उदहारण है। ये वाहन जो न केवल हमारे जीवन को आसान बनाते हैं बल्कि पर्यावरण की रक्षा भी करते हैं।
2. इलेक्ट्रिक वाहन क्या हैं?
जिन वाहनों को चलाने के लिए मुख्य तौर इलेक्ट्रिक मोटर और रिचार्जेबल बैटरी का उपयोग होता है, उन्हीं वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहन कहा जाता है। शोर्टफॉर्म में ऐसे गाड़ियों को ईवी नाम से भी जाना जाता है।
देखा जाए तो पेट्रोल, डीजल और गैसोलीन से चलने वाले गाड़ियों में भी बैटरी और इलेक्ट्रिक मोटर होते है। लेकिन इन गाड़ियों में बैटरी का उपयोग सिर्फ इलेक्ट्रिक कंपोनेंट्स और गाड़ी को स्टार्ट करने तक ही सीमित होता है।
ठीक वैसे ही इनमें इलेक्ट्रिक मोटर का उपयोग सिर्फ स्टार्टर मोटर या विंडशील्ड जैसे छोटे-छोटे जगहों पर ही उपयोग होते हैं। यह परिवहन क्षेत्र में तेज़ी से उभरता हुआ रूप है जिसका उद्देश्य जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करने के अलावा, वायु एवं ध्वनि प्रदूषण को कम करना है।
इन गाड़ियों में आंतरिक दहन इंजनों के बजाय इलेक्ट्रिक मोटर्स होते हैं, जो पेट्रोल से नही बल्कि रिचार्जेबल बैटरी में संग्रहीत बिजली द्वारा संचालित होते हैं।
इनमें इस्तेमाल होने वाले बैटरियाँ, आम बैटरी के मुकाबले अधिक उन्नत तकनीक के बने होते हैं, जिसके कारण इनमें ज्यादा समय तक बिजली ऊर्जा संरक्षित रहता है।
इलेक्ट्रिक वाहनों के लोकप्रियता के पीछे प्रौद्योगिकी में प्रगति और पर्यावरण संबंधी चिंताओं में वृद्धि है, जिसने परिवहन के भविष्य को नया रूप देने की कोशिश किया।
3. इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रकार
हालाँकि इलेक्ट्रिक कारों को चलने में सिर्फ बिजली ही मुख्य कारक होते हैं, परंतु हमने अपनी विविध जरूरतों और आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कई प्रकार के इलेक्ट्रिक वाहन विकसित किए हैं।
उदाहरण के लिए, Tata Nexon EV, Toyota Innova Highcross EV, Volvo XC90 Recharge, और Hyundai Nexo सभी इलेक्ट्रिक कारों के उदाहरण हैं; फिर भी, उनके बीच उल्लेखनीय अंतर हैं। आइए इन अंतरों को समझने का प्रयास करें।
3a. Battery Electric Vehicles
इन गाड़ियों को चलाने करने के लिए केवल बैटरी में संग्रहीत शक्ति का उपयोग होता हैं। क्योंकि इस प्रकार के गाड़ियों में कोई भी आंतरिक दहन इंजन नही रहते है, इसलिए ये पूरी तरह से उत्सर्जन मुक्त भी होते हैं।
BEVs गाड़ियों के पहिए इलेक्ट्रिक मोटर से जुड़े रहते हैं, जो रिचार्जेबल लिथियम-आयन बैटरी से बिजली प्राप्त करता है।
इन कारों को रिचार्ज करने का एकमात्र तरीका यह है कि इसे बाहरी बिजली स्रोत से जोड़ा जाए, या तो चार्जिंग स्टेशन या मानक वॉल आउटलेट से।
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Tata Nexon EV, Mahindra XUV 400 EV, जैसे गाड़ियाँ BEVs के उदहारण है। जैसे-जैसे बैटरी तकनीक में सुधार होगा, बीईवी अधिक रेंज और कम चार्ज अवधि के साथ अधिक व्यावहारिक होते जाएंगे।
3b. Hybrid Electric Vehicles
ऐसे गाड़ियों में पेट्रोल इंजन और इलेक्ट्रिक मोटर, दोनों ही इस्तेमाल होते हैं। लेकिन इन इलेक्ट्रिक मोटर्स को चलाने वाले बैट्रियां को बाहर किसी इलेक्ट्रिक चार्जर से चार्ज नही किया जाता है।
बल्कि ये बैट्रियां रीजेनरेटिव ब्रेकिंग और इंजन पावर के माध्यम से चार्ज होते हैं। Toyota Innova Highcross Hybrid मॉडल इसका सबसे अच्छा उदहारण है।
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Innova Highcross के हाइब्रिड मॉडल में बैट्रियों को चार्ज करने के लिए कोई अलग से चार्जिंग पोर्ट नही दिया गया है। बल्कि गाड़ी चलते वक़्त ही ब्रेकिंग और इंजन पावर के माध्यम से अपनेआप चार्ज होते हैं।
3c. Plug-In Hybrid Electric Vehicles
PHEVs, यानी प्लग-इन हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन जो बिजली और पेट्रोल दोनों पर चलती हैं। इसमें भी HEVs की ही तरह इलेक्ट्रिक मोटर के साथ-साथ एक इंजन होता हैं जो आंतरिक दहन का उपयोग करते हैं।
इन PHEVs और HEVs में फर्क इतना ही है कि PHEVs में बैटरी को चार्ज करने के लिए अलग से एक प्लग-इन चार्जिंग पोर्ट दिया रहता है, बल्कि HEVs में कोई चार्जिंग पोर्ट नही रहता है।
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Toyota Prius Plug-in Hybrid इसका सबसे अच्छा उदहारण है।
3d. Fuel Cell Electric Vehicles
फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक वाहन या एफसीईवी, बिजली उत्पन्न करके इलेक्ट्रिक मोटर को चलाने के लिए हाइड्रोजन ईंधन का उपयोग करते हैं। FCEVs से एकमात्र उपोत्पाद जल वाष्प है।
वाहन के उच्च दाब वाले टैंकों में हाइड्रोजन ईंधन को संग्रहित करके रखा जाता हैं। इससे बिजली पैदा करने के लिए ईंधन सेल में हवा से ऑक्सीजन के साथ मिलाया जाता है।
देखा जाय तो फ्यूल सेल तकनीक से चलने वाली गाड़ियाँ, ईवी की तुलना में लंबी ड्राइविंग रेंज प्रदान करते हैं। इस इंधन को पारंपरिक गैसोलीन वाहनों के समान मिनटों में भरा जाता हैं।
हालांकि, हाइड्रोजन रिफ्यूलिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी तथा महंगे होने के कारण इन गाड़ियों की उपलब्धता फिलहाल सीमित है। Toyota Mirai Fuel Cell Vehicle इसका सबसे बेहतर उदहारण है।
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4. इलेक्ट्रिक वाहन के सामने चुनौतियां
4a. सीमित चार्जिंग स्टेशन
भारत के वर्तमान परिपेक्ष्य से देखा जाए, तो आज भी बड़े-बड़े महानगरों में भी पेट्रोल पंप तो हर जगह देखने मिल जायेंगे, लेकिन ईवी चार्जिंग स्टेशन कंही-कंही ही देखने मिलते है।
अगर किसी के पास ईवी गाड़ी हो तो उसे लंबी यात्रा करने से पहले सोचना पड़ता है। ऐसे में गाड़ी मालिकों को कार चार्ज करने के लिए जगह ढूंढना मुश्किल भी होता है, और चार्जिंग स्टेशनों पर लंबा इंतजार भी करना पड़ता है।
4b. वाहनों के उच्च उत्पादन लागत
इलेक्ट्रिक गाड़ियों में इस्तेमाल होने वाला बैटरियां अधिक उन्नत एवं महंगे होने के कारण उत्पादन लागत भी बढ़ जाता है। नतीजन, कई उपभोक्ता इन गाड़ियों को खरीदने से कतराते है।
4c. कम ड्राइविंग रेंज
आज के समय अगर आप लम्बी दुरी तय करना चाहते हो तो इलेक्ट्रिक कार या बाइक से यात्रा करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। क्योंकि विद्युत् वाहनों का ड्राइविंग रेंज, बाकी पारंपरिक इंजन वाले गाड़ियों से काफी कम होता है।
अगर बीच यात्रा के दौरान रास्ते में गाड़ी को रिचार्ज करने के लिए अभी हाइवेज में चार्जिंग स्टेशन काफी कम उपलब्ध है।
4d. वाहनों में सीमित विकल्प
लोगों की पसंद गाड़ियों को लेकर कई प्रकार से हैं, जैसे कि किसी को कॉम्पैक्ट कार पसंद है, तो किसी को एसयूवी, तो किसी को कुछ ओर।
इलेक्ट्रिक गाड़ियों के इस दौर पर लोगों के सामने काफी कम चॉइस है। इसलिए लोगों को अपने पसंद की ईवी गाड़ी नही मिलता है।
4e. कच्चे माल की सीमित उपलब्धता
बैटरी उत्पादन के लिए सबसे जरुरी धातुएं लिथियम और कोबाल्ट है। इसलिए इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन में लिथियम, कोबाल्ट और निकल सहित कच्चे माल की महत्वपूर्ण धातु है।
साथ ही सेमीकंडक्टर डिवाइसेस के शोर्टएज के कारण इन गाड़ियों का उत्पादन काफी सीमित हुआ है।
6. इलेक्ट्रिक वाहनों के लाभ
ये गाड़ियाँ पर्यावरण के अनुकूल और कुशल परिवहन प्रणालियों का एक अभिन्न अंग हैं।
इन गाड़ियों को नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से चार्ज किया जाता है, जिससे परिवहन प्रणाली, पर्यावरण के अनुकूल हो जाती है।
इनमें कम रखरखाव और कम ईंधन की जरूरतों के कारण पारंपरिक आंतरिक दहन इंजन वाहनों की तुलना में कम खर्चीले होते हैं।
इलेक्ट्रिक कारें घटती जीवाश्म ईंधन आपूर्ति पर निर्भरता को कम कर देता हैं, जो ऊर्जा विविधता एवं संतुलन के लिए अच्छा है।
इसके अलावा पार्टिकुलेट मैटर और नाइट्रोजन ऑक्साइड सहित खतरनाक प्रदूषकों के उत्सर्जन को कम करते हैं।
इलेक्ट्रिक कारों की बदौलत ध्वनि प्रदूषण कम हुआ है, जिससे शहर का जीवन सभी के लिए अधिक सुखद एवं शांतिमय हो गया है।
विद्युतीकृत गाड़ियों के वजह से वायु में लगभग शुन्य प्रतिशत के बराबर प्रदूषण उत्सर्जित होता है।
घर पर इलेक्ट्रिक कार को चार्ज करना अधिक सुविधाजनक और लचीला है।
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