एकल परिवार, परिवार का ही एक अंश है। लेकिन क्या, अगर आपसे एकल परिवार के बारे में पूछा जाए, तो आपके मन में क्या ख्याल आते है?
क्या आप परिवार के सदस्यों की गिनती बताते है, या फिर आपसी संबंधों की गुणवत्ता पर बताते है? चलिए, आज एकल परिवार को समझेंगे, जो दुनिया भर के समाजों में सर्वव्यापी है।
इस दुनिया के जिन प्राणियों में प्यार, करुणा, विश्वास आदि गुण रहेंगे वह हमेशा समूह में रहने और साथ विचरण करने का कोशिश करेगा।
चूँकि इंसानों के बौद्धिक स्तर में समय के साथ काफी विकास हुआ है, इसलिए ये गुण बाकी जीव-जंतुओं के मुकाबले इंसानों में ज्यादा परिपक्व मिलते हैं। यही कारण है कि,इंसानों में परिवार की भावना, बाकि जंतुओं से कंही अधिक है।
1. प्रस्तावना
दरअसल, हमारे समाज का आधारशिला परिवार के स्वरुप पर ही टिका है। परन्तु धीरे-धीरे इसी पारिवारिक रुपरेखा में कई बदलाव आयें। क्योंकि दुनिया पल-पल बदलाव की ओर अग्रसित हो रहा है।
सभी क्षेत्र बाकी क्षेत्रों से किसी ना किसी रूप में जुड़ा हुआ है। इसलिए अगर एक क्षेत्र में बदलाव आते हैं तो, बाकी क्षेत्रों पर भी इसका असर देखने मिलता है।प्राचीन काल में लोग आजीविका के लिए कृषि पर ही निर्भर थे।
चूँकि कृषि कार्यों में अधिक श्रमशक्ति का आवश्यकता पड़ता था। इसलिए ग्रामीण परिवार का संरचना संयुक्त परिवार ही था।
परन्तु, जैसे-जैसे समाज अधिक औद्योगीकृत और शहरीकृत होता गया, कई पुरुषों ने पत्नी और बच्चों संग होकर, बेहतर आजीविका के लिए शहरों में प्रवासित होने लगे। नतीजन वे गाँव के संयुक्त परिवारों से दूर हुए।
इसी तरह से पारिवारिक संरचना के रूप में एकल परिवार का उदय किया।प्राचीन काल में शुरू हुआ प्रवासन आज भी जारी है, परन्तु आज ना सिर्फ आजीविका, बल्कि बेहतर शिक्षा, सुविधाओं जैसे कई कारणों से प्रवासित करते हैं। इसीलिए एकल पारिवारिक संरचना शहरों में अधिक पाए जाते हैं।
2. एकल परिवार क्या है : परिभाषा
वह सामाजिक इकाई जिसमें सिर्फ एक माता, पिता और उनकी संतानें शामिल होती हैं,एकल परिवार कहलाते हैं। एकल परिवार को एकाकी परिवार भी कहते हैं।
एकल परिवार का धारणा मुख्यतः पश्चिमी देशों से जुड़ा मिलता है, लेकिन वर्तमान परिदृश्य में यह विश्व के बाकी देशों में तेजी से फ़ैल रहा है। इस परिवार की संरचना संयुक्त परिवार से काफी भिन्न है।
संयुक्त परिवार में एक से अधिक परिवार के लोग साथ मिलकर रहते है, जिसमें दादा-दादी, चाचा-चाची, मामा-मामी, चचेरे भाई-बहन भी शामिल है। जबकि एकाकी परिवार में ऐसा बिलकुल भी नही है। इसके कई फायदे हैं।
उदाहरण के लिए, इनमें बच्चों के बड़े होने तक व्यवस्थित और सुरक्षित वातावरण मिलता हैं। माता-पिता अपने बच्चों के लिए भावनात्मक समर्थन, मार्गदर्शन और पर्यवेक्षण प्रदान करने में सक्षम होते हैं, जो उन्हें अच्छी वयस्क के तौर पर विकसित होने में मदद करता है।
3. एकल परिवार में माता-पिता की भूमिका
एकल परिवार में पुरे गृहस्थ को सँभालने का संपूर्ण दायित्व दंपतियों (माता-पिता) पर ही होता है, जब तक कि उनके बच्चे आत्मनिर्भर बन नही जाते। इसलिए एक बच्चे के जीवन में उसके माता-पिता सबसे प्रभावशाली लोग होते हैं।
माता- पिता अपने बच्चों की प्राथमिक देखभाल से लेकर समग्र कल्याण और विकास के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। इसके अलावा कई महत्वपूर्ण पारिवारिक जिम्मेदारियों का भी निर्वहन करते हैं, जो कि निम्न है।
- बच्चों को बिना शर्त प्यार, शारीरिक देखभाल और भावनात्मक समर्थन प्रदान कराना।
- अपने संतानों की बुनियादी जरूरतें जैसे कि भोजन, आवास और कपड़े के प्रबंधन सुनिश्चित करना ।
- बच्चों में सहानुभूति और दयालुता की भावना को प्रेरित करना।
- बच्चे में आत्मविश्वास और मनोबल विकसित करना।
- बच्चों की सफलताओं और खुशी के क्षणों में शामिल होना।
- एक बच्चे के असफलताओं, निराशा और हताशा परिस्थितियों में ढ़ाढ़स देना। बालक संतान
- अपने बालकों के चरित्र विकास, बेहतर शिक्षा पर ध्यान देना।
- संतानों के भावनात्मक और व्यवहारिक विकास पर ध्यान देना।
- अपने बच्चों को सही रास्ता खोजने और अनुसरण करने के लिए प्रोत्साहित करना।
4. एकल परिवार के फायदे
4a. अधिक गोपनीयता और स्वतंत्रता
जब एक से अधिक परिवार साथ रहेंगे, तो सबके लिए निजी कमरा या फिर निजी स्वतंत्रता बना पाना मुश्किल होता है। साथ ही स्वयं के लिए समय दे पाना भी लगभग असंभव है। परंतु एकाकी परिवार में हमें अधिक गोपनीयता और स्वतंत्रता मिलता है।
4b. स्पष्ट भूमिकाएं और जिम्मेदारियां
बड़े घरों में अक्सर व्यक्तिगत जिम्मेवारियां अस्पष्ट होते है। क्योंकि वंहा अधिकतर निजी कार्यों पर भी दूसरों के भरोसे रहने आम बात है। अगर किसी को कोई एक जिम्मेदारी दिया जाए तो, वह उस काम को दुसरे पर थोपकर खुद के जिम्मेदारी से मुक्त कर लेता है।
4c. कम विवाद और तनाव
प्रत्येक व्यक्ति का अपने-अपने जीवन का प्राथमिकतायें होते हैं। इसलिए जितना बड़ा परिवार होगा, उतना ही अधिक वैचारिक मतभेद होगा। लेकिन ये तमाम उलझने छोटे परिवारों में बिलकुल भी नही होते हैं।
4d. अधिक कुशल निर्णय
संयुक्त पारिवारों में अधिकांशत निर्णयों में सर्वसम्मति जरुरत पड़ता है। एक ही विषय पर सभी के राय अलग-अलग होते हैं। जंहा निर्णय तक पहुंचकर सबका हामी पाना भी चुनौतीपूर्ण है।
क्योंकि ऐसे पारिवारिक संरचना में पुराने से लेकर आधुनिक विचारधारा के लोग मिलकर रहते हैं। ऐसे में कुशल निर्णय लेना तथा समस्या सुलझाने में कई अड़चने आते हैं। परंतु एकाकी परिवार में बिलकुल भी ऐसा समस्या नही होते हैं।
4e. कम वित्तीय तनाव
संयुक्त परिवारों में सामान्यतः कमाने वालों सदस्य के तुलना में उपभोग करने वाले सदस्य अधिक होते हैं। इसलिए परिवारों में वित्तीय बोझ के कारण तनावपूर्ण माहौल बनता है।
परंतु परिवारों अगर एकाकी हो तो पैसों के कमी के वाबजूद भी गृहस्थ जीवन को थोड़े समय के लिए संभाला जा सकता है।
4f. घर का प्रबंधन और रखरखाव आसान
जितना अधिक घर में सदस्य होंगे, उतना ही अधिक घर में सामान भी होंगे, नतीजन घर का प्रबंधन और रखरखाव भी मुश्किल होगा। इसलिए, छोटे परिवार में घरेलु प्रबंधन और रखरखाव बड़े परिवार के मुकाबले बहुत आसान है।
5. एकल परिवार के नुकसान
5a. सामाजिक अकेलापन
एकाकी परिवार में बेशक आजादी बहुत है, लेकिन यही आजादी हमारे सामाजिक अकेलापन का कारण भी बना। इसका सबसे बेहतर उदाहरण शहरी जनजीवन को देखने से ही समझ आएगा। अगल-बगल क्वार्टर होने के वाबजूद लोग एक दुसरे से बातचीत नही करते हैं, क्योंकि शहरी भीड़ में भी असुरक्षित महसूस करते हैं।
5b. वित्तीय तनाव
जिंदगी एकसमान हमेशा नही रहता। उतार-चढ़ाव तो आते ही रहेंगे। इन परिस्थितियों में कई बार वित्तीय बोझ भी बड़ता है, जैसे कई बार समय पर वेतन ना मिलना, घर में नया गाड़ी खरीदना, या महंगाई के कारण। इन परिस्थितियों में एकाकी परिवारों को काफी मुश्किलों में मदद मिलते हैं।
5c. पारिवारिक अपेक्षाओं के अनुरूप दबाव
एकाकी परिवारों के बच्चों को पारिवारिक अपेक्षाओं एवं मूल्यों के अनुरूप बनने का दबाव ज्यादा होता हैं। आसपास के माहौल के अनुसार सोशल स्टेटस बनाये रखने का दवाब होता है। जैसे कि अगर पड़ोसी का बच्चे डॉक्टर बनते हैं तो अपने घरों के बच्चों पर उसी अनुरूप दवाब बनाये जाते है।
5d. सांस्कृतिक परंपराएं खोना
इनके सदस्यों में व्यक्तिगत जीवन के प्रति स्वछंदता पहला पसंद है, इसी कारण ये सांस्कृतिक परम्पराओं के प्रति रूचि कम और पाश्चात्य संस्कृति की ओर झुकाव ज्यादा होता है।
5e. कार्य-जीवन संतुलन में चुनौतियों
गृहस्थ जीवन के सुबह से लेकर शाम तक प्रत्येक कार्य को पूरा करने का दायित्व स्त्री-पुरुष दोनों पर ही होता है। इन्हें अपने कार्यों के अलावा बच्चों के स्कूल पहुंचाने, पढाई पर मदद, घर के आवश्यकताओं का पूरा ख्याल रखना होता है।
6. बालकों के विकास पर एकल परिवार का प्रभाव
बच्चे अपने माता-पिता के संरक्षण में तब तक रहते है, जब तक कि वे अपने पैरों पर खड़े नही हो जाते। इसलिए बच्चों के विकास में किसी भी प्रकार के पारिवारिक संरचना का प्रभाव पड़ता ही है।
परंतु एकल परिवार का प्रभाव बच्चों पर अधिक पड़ता है। दरअसल एकाकी परिवारों में बच्चों को बेहतर एवं अधिक सुरक्षित घरेलू वातावरण उपलब्ध होता हैं, जो इनके विकास में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए बेहद आवश्यक है।
इससे बच्चों में भावनात्मक एवं सकारात्मक मानसिकता बनाता हैं। एकल परिवारों में बच्चों को अपने माता-पिता से व्यक्तिगत सानिध्य प्राप्त होते हैं।
इससे लगातार अनुशासन और बेहतर शैक्षणिक सहयोग से इनका भविष्य उज्जवल होता है। एकल परिवारों में बच्चों के पास शैक्षिक सफलता के अधिक अवसर हो सकते हैं।
एकल परिवारों में बच्चों के पास पाठ्येतर गतिविधियों के लिए अधिक अवसर हो सकते हैं। आमतौर पर संयुक्त परिवारों में बच्चों के लिए वित्तीय सहायता कर पाना थोड़ा मुश्किल होता है।
लेकिन एकाकी परिवारों में उचित आर्थिक मदद से बच्चों को स्वस्थकर खान-पान की आदतें और बेहतर पालन-पोषण का वातावरण मिलता है। इन परिवारों के सभी सदयों को कम खर्चों में में पारिवारिक छुट्टियों और यात्रा के अधिक अवसर मिलते हैं।
जो बच्चों में रचनात्मक अभिव्यक्ति और अन्वेषण कौशल विकसित करने में सहायक हैं। बच्चों को अपने जीवन के अनुभवों को माता-पिता के साथ सीधे संवाद करके बेहतर अनुशासित जीवन जीने का अवसर मिलता है।
7. एकल परिवारों में बुजुर्गों की स्थिति
जैसे-जैसे हमारा समाज आधुनिकता की ओर रुख कर रहा है, हम और अधिक व्यक्तिवादी होते जा रहे हैं। हमनें पारंपरिक संयुक्त परिवार प्रणाली को एकाकी परिवार प्रणाली में बदल दिया है।
कुछ एकाकी परिवारों में बुजुर्ग लोग साथ रहते हैं, तो कुछ में वे अलग-थलग रहते हैं। हम सभी ने अक्सर किसी ना किसी रूप में यह पंक्ति जरुर सुने होंगे कि, “जो इंसान दुसरे के अनुभव से सीखता है, वह इंसान बुद्धिमानी कहलाता है।”
हमारे परिवार में भी बूढ़े-बुजुर्ग के अनुभवों से सीखते हुए भावी पीढ़ी को सीख लेना चाहिए। इसीलिए किसी भी परिवार में बुजुर्गों को, ज्ञान एवं अनुभवों के स्तंभ के तौर पर माना जाता है।
क्योंकि इनके पास जीवन के कई कार्यों, परिस्थितियों से सफलतापूर्वक सामना करने का अनुभव रहता है। इनका यह ज्ञान आने वाले पीढ़ी के लिए उपयोगी होता हैं। परंतु, मौजूदा एकल परिवारों में इनका स्थिति उतना अच्छा नही है, जितना होना चाहिए।
आइए, एकल परिवारों में बुजुर्गों की स्थिति को समझते हैं।
7a. सम्मानीय स्थान ना देना
एकाकी परिवारों में, बुजुर्गों को वह सम्मान और प्रतिष्ठा नहीं मिलता जिसके वे हकदार हैं। इनके राय पर ध्यान नहीं दिया जाता और अक्सर नजरअंदाज करते है।
7b. अलगाव
इन परिवारों में बुजुर्गों को अक्सर पारिवारिक अनुष्ठानों में शामिल नही किया जाता, जिस कारण वे अपने ही परिवार में अलग-थलग एहसास करते हैं। इस कारण परिवार होते हुए भी अकेलापन और तनाव महसूस करते है।
7c. आर्थिक निर्भरता का कमी
बुजुर्ग माता-पिता अक्सर अपने जरूरतों के लिए आर्थिक रूप से अपने बच्चों पर निर्भर होते हैं। उनके बच्चे अक्सर उनके जरूरतों को दरकिनार करते है, जो इनके स्वतंत्रता और आत्म-सम्मान पर ठेस करता है।
7d. प्रशंसा की कमी
बुजुर्गों के योगदान को परिवार में आमतौर पर सराहा नही जाता। उन्हें प्रशंसा का पात्र नही मन जाता। हाँ, लेकिन कंही भूल हो जाए तो उनपर आरोप हरकोई ठहरता है।
7e. उपेक्षा एवं दुर्व्यवहार
एकाकी परिवारों में बुजुर्गों की अक्सर उपेक्षा होता है और उनकी बुनियादी जरूरतों का ध्यान नहीं रखा जाता है। जिससे बुजुर्ग भावनात्मक तौर पर शक्तिहीन महसूस करते हैं।
8. निष्कर्ष
एकाकी परिवार को एक ऐसे पारिवारिक इकाई के तौर पर वर्णित किया जाता है जिसमें सिर्फ माता, पिता और उनके बच्चे शामिल होते हैं। हालाँकि कई मामलों में पाया गया कि दादा-दादी भी इनके हिस्सा होते हैं।
यह पारिवारिक संरचना पश्चिमी समाज से पनपा एवं अन्य देशों में प्रचलित हुआ। लेकिन जैसे-जैसे समाज विकसित होते गया, इस पारिवारिक अवधारणा पर तेजी से सवाल भी उठने लगे है।
माना जाता है कि, इसके वजह से पारिवारिक माहौल में कई नुकसान भी उभरे है। परंतु सच्चाई है कि, घर के रीतिरिवाज कैसे होंगे, उनके घरों में बुजुर्गों का स्थिति कैसा होगा, यह इस बात पर निर्भर नही करता कि, परिवार का संरचना एकल पारिवारिक है या फिर संयुक्त पारिवारिक है।
यह घर के सदस्यों के गुणों एवं संस्कारों पर निर्भर होगा। लेकिन इसके फायदों को देखें तो पायेंगे कि, इसके वजह से कई परिवारों को आर्थिक मजबूती मिला हैं।
अगर हम एकल परिवार से जन्में नकारात्मक प्रभावों का उचित हल निकलें तो निश्चय ही एकाकी परिवार संरचना भी समाज के लिए अच्छा होगा।
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