भोजन करना किसको पसंद नही होगा...? जब खाने को ढेर सारे व्यंजन हो तो हर कोई लजीज खाना चाहता है, लेकिन अगर करेले जैसी कड़वी सब्जी हो तो बहुत ही कम लोग भोजन करने पसंद करते हैं। भोजन मात्र पेट भर लेने तक सीमितता नही रह जाता है।
भोजन हमारे शारीरिक स्वास्थ्य के अलावा हमारे सांस्कृतिक पहचान को भी दर्शाता है।
उदहारण के तौर पर भारत में ही पूरब से पश्चिम या फिर उत्तर से दक्षिण की ओर सफ़र करना शुरू कर देंगे तो हमें, प्रत्येक राज्य में विभिन्न प्रकार के व्यंजनों को देखेंगे।
तो फिर विश्वस्तर पर क्या ही कहना, वंहा तो पूरी तरह भिन्न-भिन्न प्रकार के भोजन देखने मिलेंगे। तो चलिए आज के इस लेख में भोजन से जुड़े कई तथ्यों को समझेंगे।
भोजन की अहमियत
इस धरती में रहने वाले प्रत्येक सजीव प्राणी जैसे कि, छोटे से चींटी से लेकर विशालकाय हाथी तक को भोजन की आवश्यकता है। यह हम सबका हमारा बुनियादी जरुरत है। हम इंसान पैसा कमाने के पीछे इतने भागते-फिरते है, वह इसी वजह से कि हमारे भरपेट अच्छे भोजन की व्यवस्था हो सके।
इंसान जब पैसा कमाना शुरू करता है तो, सबसे पहले वह अपने भोजन की लालसा को मिटाता है, फिर उसके बाद आलीशान मकान, गाड़ी, घुमने-फिरने के बारे में सोचता है। इसीलिए भोजन की अहमियत कभी भी ख़त्म नही हो सकता है।
भोजन के प्रकार
भोजन मुख्यतः दो ही प्रकार से विभाजित किया जाना संभव है, एक शाकाहारी भोजन तथा दूसरा मांसाहारी भोजन। शाकाहारी भोजन में हम सभी पेड़-पौधों से मिलने वाले भोजन को कहते है।
भात, सब्जी, रोटी, इत्यादि। दूसरा जिन भोज्य पदार्थों के लिए हम जीव-जंतुओं पर आश्रित रहना पड़े वैसे भोजन, मांसाहारी भोजन कहलाते है, जैसे की चिकेन, मछली, इत्यादि।
वैसे भोजनों के प्रकार पर चर्चा शुरू की जाए, तो यह लिस्ट कभी भी ख़त्म हो ही नही सकता है। अपने भारत में ही देख लीजिए, गोलगप्पा, मिठाई, कचोड़ी, समोसा, जलेबी, इडली, दोसा, रोटी, पराठा, सब्जी, दाल, रायता, पुलाव, केक, चॉकलेट, विरयानी, पिज़्ज़ा-बर्गर और ना जाने अनगिनत व्यंजनें है।
परंतु इस लेख में मेरे अपने सबसे प्रिय भोजनों पर लिखना चाहूँगा।
1. रोटी-पालक सब्जी:- रोटी पलक की सब्जी मेरा पसंदीदा आहार में से एक है। यह स्वाद में बहुत ही स्वादिष्ट, और शरीर में खूब सारे पोषक तत्व की कमी को दूर कर देता है।
2. लिट्टी चोखा:- मान लीजिए कि आप कंही बाहर घुमने जाते हो, और अगर आप चाहते हो की होटल्स के मसालेदार भोजन करने के बजाय, सेहतमंद खाना खाऊ तो निश्चय ही आपको लिट्टी-चोखा खाना चाहिए। यह एक प्रकार के आटे के बड़े-बड़े गोले होते है, जिसके अन्दर सत्तू भरे रहते है।
जिसमें प्याज, आचार, आदि स्वादानुसार चीजें मिले रहते है। इन्हें चूल्हे के भट्टी में पकाया जाता है। और फिर धनिया चटनी, और आलू चोखा के साथ मिलकर गरम-गरम खाना बहुत ही मजेदार अनुभव होता है।
हैरानी की बात यह है कि यह खाना होटल के किसी भी खाने से बहुत ही सस्ता है। यानी कि पैसों की पूरी बचत।
खाने की आदत
हम सबने कई बार देखा होगा, कि जो खाना हम खाते हैं, उसी खाने की वजह से हम बीमार भी पड़ते है। जिस वजह से हमें उल्टी-दस्त, पेट दर्द, ओर यंहा तक की तेज बुखार भी आ जाते हैं। इसलिए हमें खाने के आदतों से भी वाखिफ होना अत्यंत आवश्यक है।
पहला आदत, जब भी हम खाना खाने बैठे तो यह ध्यान में रखे कि, बैठने का स्थल बिलकुल साफ-सुथरा हो। कभी भी खड़े होकर भोजन ग्रहण ना ही करें तो बेहतर होगा।
दूसरा आदत, भोजन के लिए बैठने से पहले हाथ, मुहं और पैरों को अच्छे तरह से धो लेना चाहिए, और ढीले-ढाले कपड़े पहने हुए ही भोजन में बैठें। ताकि आहार ग्रहण करते वक़्त बैचेनी महसूस ना हो।
तीसरा आदत, खाना को हड़बड़ी में थोड़ा-थोड़ा चबाकर नही निगलना चाहिए, बल्कि सामान्य रफ़्तार से अच्छे तरीके से चबा-चबा कर खाएं। जब हम भोजन तो अच्छे से चबाकर निगलते हैं तो, पेट पर भोजन को पचाने का अधिक दवाब नही बनता है।
चौथी आदत, हमेशा ताजा बना हुआ भोजन ही खाना चाहिए। क्योंकि बासी भोजन ही असल मायने में सारे रोगों का जड़ होता है।
पांचवा आदत, हमें जितना भूख हो, उतना ही आहार ग्रहण करना चाहिए, अधिक भोजन से हमेशा परहेज करना होगा। क्योंकि क्षमता से अधिक को हमारा पाचनतंत्र पचा ही नही सकता है। नतीजन पेट सम्बंधित कई बीमारियाँ होंगे।
छठा आदत, जंहा तक संभव हो घर का खाना खाने की आदत बनायें। अगर बाहर जाएँ, तो टिफिन साथ रखे, और अगर बहार का ही भोजन करना पड़े तो अधिक ऑयली, या मसालेदार भोजन को परहेज कीजिए।
क्योंकि होटलों में अधिक स्वादिष्ट भोजन ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए ही ज्यादा मसालें मिलाएं जाते हैं। और कंही कंही तो बासी खाना को ही गरम करके ग्राहकों को परोसे जाते हैं।
भोजन के फायदे
हरकोई प्रतिदिन कुछ ना कुछ काम करते रहते ही है, जैसे कि किसान खेती करेगा, शिक्षक स्कूल में पढ़ायेगा, ड्राईवर गाड़ी चलाएगा, मजदूर दिहाड़ी काम करेगा, स्टूडेंट पढ़ाई करेगा, तो इन सभी कामों को करने के लिए हमारे शरीर को ऊर्जा की आवश्यता है। यह ऊर्जा हमें सिर्फ भोजन से ही प्राप्त होता है।
इसके अलावा, भोजन करने पर हमें अपार आनंद की अनुभूति मिलता है। आपने भी कई बार परिवारों को वीकेंड में अक्सर बड़े-बड़े रेस्तरां में खाना खाने जाते हैं, ताकि मसालेदार, तीखे, स्वाद का मजा ले सकें।
जब हम सामूहिक तौर पर भोजन ग्रहण करते हैं, उदहारण के लिए शादियों में, जन्मदिन उत्सव में, नए साल में, तो इससे हमारे सामुदायिक सौहार्द की भावना परिलक्षित होता है।
हमारे संतुलित एवं व्यावहारिक भोजन ग्रहण करने से, शरीर को उचित मात्रा में सभी पोषक तत्व मिलते हैं, जिससे शरीर स्वस्थ रहता है और हमारे निरोग एवं सुखी जीवन जीने में भूमिका निभाता है।
भोजन बनाने की विधि
हम कुछ फल-फूल, एवं सब्जियों को परिपक्व (पके) होने के बाद खाते हैं तो कुछ को खाने के लिए पकाकर खाना होता है। जैसे कि आम, जामुन, अनार, अंगूर, जैसे फलों को हम पकने के बाद बहुत स्वादिष्ट लगते हैं। परन्तु हम आम, आवंला, मिर्च, निम्बू का आचार बनाकर भी रखते हैं।
बाकी जो भी आहार हम पकाकर खाते है, उनके बनाने का तरीका में जगह और जरुरत अनुसार थोड़े अंतर तो होते ही है। उदहारण के तौर पर सामान्य भात, को कोई जीरा राइस, बिरयानी, पुलाव, और अन्य-अन्य तौर-तरीके से बनाकर खाते है।
खाने की आदतों पर आधुनिक जीवन शैली का प्रभाव
1. आधुनिकीकरण के कारण खाने के तरीके में परिवर्तन:- आधुनिकीकरण ने हमारा जनजीवन तो सरल बनाया है, लेकिन साथ में इसके कई दोष भी उत्पन्न हुए है। लोग जल्दबाजी में भरपेट भोजन तो कर लेते है, लेकिन पोषण को अनदेखा करते है।
परिणाम यह सामने आता है कि, हमारा पेट तो भरता है, लेकिन शरीर को सही पोषण नही मिलता, और हम सोचते है कि, दिनभर भरपेट भोजन करने के वाबजूद हमारा शरीर सुडौल क्यों नही बनता है।।?
2. भोजन विकल्पों पर व्यस्त समय-सारणी का प्रभाव:- शहरों निवासियों का जनजीवन काफी व्यस्तता में गुजरता है। साथ ही भोजन बनाने में समय भी लगता है। इसलिए शहर के लोग समय की बचत करने के लिए अधिक प्रोसेस्ड फ़ूड का इस्तेमाल करते है। वे पैकेज्ड फ़ूड खाना ज्यादा पसंद करते हैं।
3. खराब खाने की आदतों के स्वास्थ्य परिणाम:- आजकल शहरी लोगों ने घर पर खाना बनाना बहुत ही कम कर दिया है। खाना बनाने की आलसी आदत ने ऑनलाइन फ़ूड डिलीवरी को प्रोत्शाहित किया है।
जो कि सीधा होटल से ही डिलीवर होते है, और होटल का खाना हमेशा से ही अधिक ऑयली, और मसालेदार होते हैं, जो कभी भी हमारे शरीर के लिए फायदेमंद नही होते।
निष्कर्ष
इस निबंध का सार यही है कि अगर हम आजीवनभर निरोग एवं सुखी रहना चाहते हो, हमें हमेशा ही स्वास्थ्य एवं संतुलित भोजन ग्रहण करना होगा। साथ ही अत्यधिक मसालेदार एवं तेलयुक्त भोजन से परहेज होना भी जरुरी है।
हालाँकि कभी-कभार एंजोयमेंट के लिए बाहर के लजीज भोजन खाना भी चाहिए, वर्ना जीवन जीने का असली मजा भी कम होना एहसास होता है। परन्तु अपने स्वास्थ्य का अनदेखा नही होना चाहिए।
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